दुनिया बदल जाएगी एक दिन

  दुनिया बदल जाएगी एक दिन 


बड़े दिनों बाद मन में आया की ब्लॉग लिखू, और अपनी मातृभाषा हिंदी में लिखू। दुनियाँ को एक न एक दिन तो बदलना ही था लोगो को मतलबी भी होना था जो की स्वाभाविक था।  आज कल लोग जानवरो से ज्यादा खतरनाक हो गए है।  जानवर भी परेशान है की हमसे बड़ा जानवर कौन पैदा हो गया।  कोरोना ने हमें एक बात तो सिखाई की हम काम चीजों में भी अच्छे से जिंदगी जी सकते है।  

लॉकडाउन में तो हर घर में एक शेफ और बात काटने वाला निकल कर आया।  न जाने क्यों लोग प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते है क्यों छेड़ते है प्रकृति को जब हम सीमित संसाधनों में जी सकते है।  लकिन नहीं अगर हम फालतू का दिखावा नहीं करेंगे तो इज्जत कैसे मिलेगी।  अपने देश को पान की गुमटी के पास जाकर गाली नहीं देंगे तो सबके सामने अपना रुतबा कैसे दिखाएंगे।  पता नहीं क्यों भूल जाते है की ये वही देश है झा उन्होंने जनम लिया है, बस पैसा चाहिए पैसा।  अरे देश के लिए, समाज के लिए भी कुछ कर दो, मरने के बाद क्या पैसे अपने साथ ले जाओगे। टैक्स देना नहीं है उसमे भी बोलेंगे सरकार निकम्मी है।  देश के बाहरी दुश्मन कम है क्या जो हम अंदर के दुश्मन बने बैठे है।  

सुधर जाओ यार देश अपना ही है  अगर  फालतू का दिखावा करने से फुर्सत मिल जाये तो मरने से पहले देश के लिए कुछ कर देना। देशभक्ति की फिल्म देखने ही बस से कुछ नहीं होता।  



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