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Showing posts from May, 2022

लाउडस्पीकर

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  लाउडस्पीकर   आज कल ऐसी चीजे चर्चा का विषय बन गई है जिनके बारे में आमतौर में सोंचा नहीं जाता था।  अब ये तो लाउडस्पीकर ने भी नहीं सोंचा होगा की एक दिन उसके चर्चे पुरे भारतवर्ष में होंगे।  हो भी क्यों न काम जो ऐसा किया है।  भगवान् के लिए प्रार्थना, अल्लाह के लिए अज़ान ये सब तो मन के भीतर होनी चाहिए थी क्युकी भगवान्, अल्लाह ने तो कभी नहीं कहा न की जब तब ज़ोर ज़ोर से लाउडस्पीकर में मुझे नहीं याद करोगे मैं तुम्हारी नहीं सुनूंगा। भगवान् की की भक्ति तो मन से होती है न की चिल्ला कर।  इसे राजनैतिक स्वरुप देना उचित नहीं है।   मस्जिदों में मंदिरो में या अन्य देव स्थलों में तो इनसभी चीजों का उपयोग ही नहीं है, अगर इसका उपयोग परिसर में भजन इत्यादि के लिए करते है तो ये सुनिश्चित करना चाहिए की उसकी आवाज़ परिसर के बाहर न जाये क्युकी हो सकता है कोई विद्यार्थी अध्ययन कर रहा हो, किसी अस्वस्थ व्यक्ति को तेज़ आवाज़ से परेशानी हो रही हो और ईश्वर, अल्लाह तो ये कभी नहीं चाहेंगे की उनकी प्रार्थना किसी को कष्ट देकर हो।   आज के सोशल मीडिया के वक़्त में व्यक्ति को नई चीजे...

दुनिया के अजीब रंग

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 दुनिया के अजीब रंग  दुनिया कितनी बदल गई है इस बात से तो सभी परिचित है लेकिन समझना नहीं चाहता कोई।  इंसान का व्यवहार तौर तरीका सबमे बदलाव आगया।  पहले का वक़्त देखा जाये तो इंसान खुश रहते थे लेकिन आज सभी एक न खत्म होने वाली एक अनंत दौड़ का हिस्सा मात्र बन कर रह गए है।  तरक्की करना अच्छी बात है लेकिन ऐसी तरक्की किस काम की जो इंसान के अंदर से इंसानियत खत्म कर दे।   पहले नौकरी एक जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण थी लेकिन आज तो कुछ और ही देखने को मिलता है।  इंसान के पास अपनों के साथ वक़्त बिताने तक के लिए वक़्त नहीं है क्यों ? फिर अपने अंतिम समय में उसी इंसान को सब याद आता है की अरे अपने मित्र बंधुवो से तो मिल ही नहीं पाए पूरा जीवन मशीन की तरह काम करने में निकाल दिया और खुद का जीवन जीना ही भूल गए।  दुनिया बड़ी अजीब है एक छोटा सा जीवन मिलता है और उसमे भी हमारा हक़ नहीं होता।   अब लोग आपस में ही प्रतिद्वंदी की भाति व्यवहार करते है और अंतिम छड़ तक उन्हें नहीं पता होता है की प्रतिद्वंदिता थी तो किस चीज की थी।  आज का युग अर्थप्रधान युग है आज के समय ...